5 SIMPLE TECHNIQUES FOR HINDI STORY

5 Simple Techniques For hindi story

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चेतना लौटने लगी। साँस में गंधक की तरह तेज़ बदबूदार और दम घुटाने वाली हवा भरी हुई थी। कोबायाशी ने महसूस किया कि बम के उस प्राण-घातक धड़ाके की गूँज अभी-भी उसके दिल में धँस रही है। भय अभी-भी उस पर छाया हुआ है। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है। उसे साँस अमृतलाल नागर

जब मैं सड़क पर आई तो ठंडी और ताजी हवा के स्पर्श मात्र से ही मुस्करा पड़ी तभी मेरी नजर एक ज्योतिष-केन्द्र पर पड़ी तो वहाँ जाने से मैं खुद को रोक न सकी। अपने आप ही मेरे कदम उधर बढ़ गए। मैंने देखा, वहाँ भीड़ नहीं थी। वैसे तो ज्योतिष पर मुझे विश्वास नहीं था, पर अब थोड़ा-थोड़ा यकीन होने लगा 

धीरे धीरे रूपा और पीपल के पेड़ की दोस्त बढ़ने लगी। जब राजा को इसकी भनक लगी तो वह विचलित हो उठा। रूपा किसी खतरे में न पड़ जाये यह सोच कर उसने जंगल के सभी पेड़ कटवाने का निर्णय ले लिया। राजा के आदेश से सैनिक जंगल में पेड़ काटने पहुंचे पर वह जैसे ही पीपल के पेड़ की टहनियां काटते, पेड़ से नयी टहनियां ऊग आती। सैनिक घबरा गए। तब पीपल के पेड़ ने गरज कर कहा की सालों से वह और उसके साथी इंसानों को सांस लेने के लिए हवा देते आ रहे हैं , और आज यह लोग उन्हें ही ख़त्म करने चले हैं। अगर पेड़ नहीं रहे, तो इंसान भी नहीं बचेंगे। यह पता चलने पर राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपना निर्णय वापस लिया और रूपा और पीपल के पेड़ की दोस्ती की फ़िक्र छोड़ दी।

ढोलू-मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते, पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे। उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे। ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता।

एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद

भारत-पाकिस्तान के बंटवारे विभाजन पर अनेक कहानियां, उपन्यास, समाजशास्त्रीय-राजनीतिक विश्लेषण आदि लिखे गए, लेकिन सआदत हसन मंटो की कहानी – 'टोबा टेक सिंह' इस विभाजन के पीछे सक्रिय राजनीति और सांप्रदायिकता के उन्माद की अविस्मरणीय, सार्वभौमिक, कालजयी क्लासिक बन गई.

उस दिन बड़े सवेरे जब श्यामू की नींद खुली तब उसने देखा—घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी काकी उमा एक कंबल पर नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए भूमि-शयन कर रही हैं, और घर के सब लोग उसे घेरकर बड़े करुण स्वर में विलाप कर रहे हैं। लोग जब उमा को श्मशान सियारामशरण गुप्त

चिंटू काफी मशक्कत करता है फिर भी वह बाहर नहीं निकल पाता।

मोर की याद में जो आंसू का-संगी ने बहाये, वह मोर के पंखो पर गिरे और रंग बिरंगे निशान छोड़ गए, जो आज भी मोर के पंखो पर देखे जा सकते हैं।

एक दिन राजा के नौकर ने ब्राह्मण से बक्शीश मांगी। ब्राह्मण कोई जवाब दिए बिना वहां से चला गया। नौकर ने ब्राह्मण को सबक सिखाने की ठानी। अगले दिन नौकर ने ब्राह्मण से कहा की राजा तुम से नाराज हैं क्योंकि उन्हें तुम्हारे मुँह से दुर्गन्ध आती है। ब्राह्मण घबरा गया और अगली बार राजा से मिलने अपने नाक मुँह पर कपड़ा रख कर गया।

एक दिन की बात है प्रधानमंत्री स्वच्छता कार्यक्रम के लिए सभी विद्यार्थियों को सहयोग करने के लिए कह रहे थे। मुकेश को आइडिया आया उसने कूड़ेदान के पास जाकर खूब सारी पेंटिंग दीवार पर बना दी। वह पेंटिंग इतनी check here खूबसूरत थी कि कोई भी व्यक्ति वहां से गुजरते हुए। उस पेंटिंग की सराहना करते जाता था।

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